महामृत्युंजय मंत्र, जिसे “मृत्यु को जीतने वाला मंत्र” भी कहा जाता है, यह दुनिया का पावर भूल मंत्रों में से एक है जो भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन वैदिक मंत्र है। यह मंत्र ऋग्वेद (7.59.12) और यजुर्वेद में पाया जाता है। इसे त्र्यंबकम मंत्र भी कहा जाता है, क्योंकि यह भगवान शिव के त्र्यंबक (तीन नेत्रों वाले) रूप को संबोधित करता है।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप स्वास्थ्य, दीर्घायु, रोगों से मुक्ति, और मृत्यु के भय को दूर करने के लिए किया जाता है। यह सच में लाभकारी होता हैं. यह आध्यात्मिक और मानसिक शांति प्रदान करता है, साथ ही मोक्ष की प्राप्ति में भी सहायक माना जाता है।
महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ है कि हम भगवान शिव से प्रार्थना करते हैं कि वे हमें मृत्यु के बंधनों से मुक्त करें और अमरता की ओर ले जाएं। यह मंत्र विशेष रूप से उन लोगों के लिए जप किया जाता है जो गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं या जीवन के संकटों का सामना कर रहे हैं और जिनके जीवन में हमेशा कठिनाइयों को सामना करना पड़ रहा हैं। इस मंत्र का 108 बार जाप विशेष रूप से शक्तिशाली माना जाता है, क्योंकि 108 एक पवित्र संख्या है, जो हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है।
Maha Mrityunjaya mantra lyrics in hindi
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥
महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ
हम उस त्रिनेत्रधारी भगवान शिव की आराधना करते हैं, जो सबके कल्याणकारी, सुगन्धित, और जीवन को पोषित करने वाले हैं। जैसे एक पका हुआ फल (जैसे ककड़ी) बेल से बिना कष्ट के अलग हो जाता है, वैसे ही हमें मृत्यु के बंधन से मुक्त करें, लेकिन हमें अमरत्व (मोक्ष या दिव्यता) से वंचित न करें।
Maha Mrityunjaya Mantra 108 times
महामृत्युंजय मंत्र 108 बार जाप करें

1. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
2. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
3. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
4. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
5. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
6. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
7. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
8. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
9. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
10. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
11. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
12. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
13. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
14. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
15. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
16. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
17. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
18. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
19. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
20. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
21. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
22. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
23. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
24. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
25. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
26. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
27. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
28. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
29. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
30. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
31. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
32. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
33. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
34. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
35. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
36. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
37. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
38. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
39. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
40. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
41. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
42. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
43. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
44. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
45. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
46. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
47. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
48. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
49. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
50. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
51. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
52. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
53. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
54. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
55. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
56. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
57. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
58. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
59. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
60. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
61. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
62. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
63. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
64. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
65. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
66. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
67. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
68. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
69. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
70. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
71. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
72. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
73. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
74. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
75. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
76. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
77. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
78. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
79. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
80. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
81. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
82. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
83. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
84. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
85. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
86. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
87. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
88. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
89. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
90. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
91. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
92. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
93. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
94. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
95. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
96. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
97. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
98. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
99. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
100. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
101. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
102. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
103. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
104. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
105. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
106. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
107. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
108. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
विशेष नोट:
इस मंत्र का जाप विशेष रूप से: रोग से मुक्ति, आयु वृद्धि, संकट में सुरक्षा, आध्यात्मिक उन्नति के लिए किया जाता है। इसे “मृत्यु को जीतने वाला” मंत्र भी कहा जाता है।
ऐसे ही मंत्रो के लिए आप mantra24.in से जुड़े रहे हैं. और अपने दोस्तों मित्रों को शेयर कर उनको भी शिवजी के महामृत्युंजय मंत्र: की जान सुनाएँ।